
क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप बिना चप्पल-जूते के नंगे पैर मिट्टी या घास पर चलते हैं, तो वो एहसास इतना सुकून देने वाला क्यों होता है?
सोचिए एक सुबह का नज़ारा – हल्की धूप, ठंडी ओस से भीगी घास, और आप नंगे पैर धीरे-धीरे टहल रहे हों… कितना शांत और रिफ्रेशिंग लगता है ना?
असल में, यह सिर्फ एक अच्छा एहसास नहीं है, बल्कि एक नेचुरल हीलिंग थैरेपी है जिसे साइंस और आयुर्वेद दोनों ने ही माना है। इसे कहा जाता है – “अर्थिंग” या “ग्राउंडिंग”।
अर्थिंग क्या है?
जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की सेफ्टी के लिए “अर्थिंग” की जाती है, वैसे ही हमारी बॉडी भी एक बायो-इलेक्ट्रिक सिस्टम है। हमारी त्वचा के ज़रिए जब हम डायरेक्ट धरती से जुड़ते हैं, तो धरती की नेगेटिव एनर्जी हमारे शरीर के पॉजिटिव चार्ज (फ्री रेडिकल्स) को न्यूट्रलाइज़ करती है।
- अर्थिंग से इन्फ्लेमेशन और दर्द में राहत
- स्टडीज़ से पता चला है कि नंगे पैर चलने से शरीर में इन्फ्लेमेशन (सूजन) कम हो सकती है। अगर आपको जोड़ों में दर्द, मसल पेन, या क्रॉनिक हेल्थ इश्यूज़ हैं, तो रोज़ 15-20 मिनट घास या मिट्टी पर चलना आपके लिए दवा से भी ज़्यादा असरदार हो सकता है।
- तनाव को करता है गायब
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में स्ट्रेस एक आम समस्या बन चुकी है। लगातार स्क्रीन टाइम, ट्रैफिक, काम का प्रेशर हमें अंदर से थका देता है।
लेकिन जब आप नंगे पैर प्रकृति से जुड़ते हैं, तो आपका शरीर कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) को कम करने लगता है। आप खुद महसूस करेंगे – एक अजीब सी शांति और पॉजिटिव वाइब्स जो दिमाग को रिलैक्स करती है।
- नींद बेहतर बनती है
क्या आपको भी रात में ठीक से नींद नहीं आती?
तो एक सिंपल उपाय ट्राय कीजिए – सुबह या शाम को 15 मिनट नंगे पैर टहलना शुरू करें। अर्थिंग से मेलाटोनिन (नींद वाला हार्मोन) बैलेंस होता है, जिससे आपकी नींद की क्वालिटी सुधरती है और आप ज्यादा फ्रेश फील करते हैं।
- ब्लड प्रेशर और हार्ट हेल्थ में फायदेमंद
कुछ रिसर्च ये भी बताती हैं कि अर्थिंग से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और हार्ट हेल्थ को भी सपोर्ट मिलता है।
अर्थिंग कैसे करें?
बहुत सिंपल है:
सुबह या शाम पार्क में नंगे पैर चलें
घास या मिट्टी पर 15-30 मिनट बिताएं
बीच या नदी किनारे नंगे पैर वॉक करें
ध्यान लगाते वक्त धरती पर बैठें
निष्कर्ष (Conclusion)
अर्थिंग कोई नई खोज नहीं है, बल्कि एक प्राचीन नेचुरल थैरेपी है जिसे हम भूलते जा रहे हैं। महंगे ट्रीटमेंट्स या दवाइयों से पहले अगर हम अपने शरीर को प्रकृति से दोबारा जोड़ दें, तो वो खुद ही हीलिंग शुरू कर देता है।
तो अगली बार जब आप थके हुए या स्ट्रेस्ड महसूस करें, बस अपने जूते उतारिए और धरती से जुड़ जाइए… शायद यही असली मेडिटेशन है।
आपका क्या अनुभव है नंगे पैर चलने का? क्या आप इसे अपनी डेली लाइफ में अपनाना चाहेंगे? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं!